क्या नाम दूं उस ख्वाब को

क्या नाम दूं उस ख्वाब को जो इस दिल से जाता नही क्यो ये सफर मेरा मंज़िल से मुझे मिलता नही कर रहा कोशिश तो मै भी,पर हार जाता हूँ बार बार जब भी गिरा दिल ने कहा,बस एक बार और बस एक बार की नयी शुरुआत है मैने,जब भी गिर और हारा हूँ मै... Continue Reading →

कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी

(copied) कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगीकभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगीकुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी . . . . . .जिससे हर रोज नये-नये  सबक मिलते हैंयथार्थों का अनुभव कराने वाली ऐसी... Continue Reading →

आज़ाद परिंदे थे जग को,आज़ाद करने निकले थे।

ना वक़्त का पता था ना रक्त का पता था। वक़्त भी बहता रहा रक्त भी बहता रहा। लहू की जैसे नदियां बह रही थी बन्दूक से निकली हर गोली इंक़लाब कह रही थी। था कठिन दौर वो फिर भी,हिम्मत न उन्होंने हारी थी आज़ादी की खातिर मन की,सारी इच्छाएं मारी थी। उस दिन जालियां... Continue Reading →

आखिर कब तक

ना आंसू बचे अब आँखों में ना उम्मीद है अब अपनों से फैसले उनके हावी मुझपर बिछड़ी मैं खुद के सपनो से। दर्द अब दोस्त बन गया मासुमियत छीन ली गयी एक आंधी ऐसी आई मैं हँसना तक भूल गयी। अब मइके से ससुराल जाना है ससुराल में घर बसाना है पलहे अच्छी बेटी बनना... Continue Reading →

क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी…

.....जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी.... .....क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी... .....चरखा हरदम खामोश रहा,और अंत देश को बांट दिया.... .....लाखों बेघर,लाखो मर गए,जब गाँधी ने बंदरबाँट किया..... .....जिन्ना के हिस्से पाक गया , नेहरू को हिन्दुस्तान मिला.... .....जो जान लुटा गए भारत पर,उन्हे ढंग... Continue Reading →

मुझे माफ़ कर देना पापा

यह, यह कोई मार्क्स है जानते हो इसका मतलब, करोगे क्या अब ज़िन्दगी में, नालायक किया ही क्या है तुमने 4 सालो में। एक इंजीनियरिंग भी ढंग से नही कर सके तुम। शर्मा अंकल के बेटे को देखो,कुछ सीखो उससे। Dear papa, ज़िन्दगी में अब किसी को हस्ते हुए देखता हूँ,तो खुद के मन में... Continue Reading →

तू गिर,उठ और फिरसे चल !

तू गिर,उठ और फिरसे चल अपने लक्ष्य को,तू ना बदल कर तू कोशिश आगे तू बढ़ अपने लक्ष्य पे होगा तू जल्द डर नही डर को डरा तू खुद को जरा आज़मा तू मुश्किलें आसान लगेंगी इन्हें देख के मुसकुरा तू आँखों से तू डर को निकाल फिर देख तू खुद का कमाल जब भी... Continue Reading →

मै उन दिनों में मंदिर क्यों नहीं जा सकती

मै उन दिनों में मंदिर क्यों नहीं जा सकती। मैं पूजा क्यों नहीं कर सकती।और अगर किसी से पूछती हूँ तो कोई कुछ बताता भी नहीं है। ऐसे ही सवाल ना जाने कितनी लड़कियों के मन में आते होंगे,जिनका जवाब शायद ही किसी को मिलता होगा। , एक कहानी के अनुसार देवराज इंद्र के हाथों से हुई... Continue Reading →

हैं किसी के लाल वो भी..

हैं किसी के लाल वो भी, सरहद पर हैं जो खड़े दुश्मनों के सामने, सीना ताने जो अडे मौत का ना डर उन्हे, ना डर उन्हे  है खौफ का हाथ मे हथियार,सर पर कफ़न बाँधे वो खड़े . . जिंदगी की ऐश सारी भूल के वो आ गये देश की खातिर  जो अपना शीश तक... Continue Reading →

डर ,डर, डर-आखिर कब तक।

डर ,डर, डर आखिर कब तक। कब तक  इसी तरहा डर के रहना होगा,अब तो हर चेहरा अंजान दिखाई देता है ,हर इंसान के अंदर अब शैतान दिखाई देता है । कभी सोचा न था कि इस पुरषोत्तम वाली माटी में स्त्री को घाव दिया जायेगा। इस बेरहम दुनिया में, अब डर लगता है। कुछ... Continue Reading →

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